राजद को माय समीकरण की आस, तो भाजपा को मोदी की गारंटी पर है विश्वास।
दरभंगा लोकसभा में चौथे चरण यानी 13 मई को वोट डाले जाएंगे। इसको लेकर चुनाव प्रचार चरम पर है। यहां एनडीए के दिग्गज नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान आदि के साथ साथ पीएम मोदी की सभा भी हो चुकी है। महागठबंधन के स्टार प्रचारक तेजस्वी यादव ने भी इलाके में कई दिनों तक कैंप कर महागठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में कई सभाएं की हैं। इसके साथ ही दरभंगा लोकसभा सीट पर जीत-हार के समीकरणों पर भी मंथन जारी है।
वैसे तो बहुत सारे समीकरणों का विश्लेषण इनदिनों हो रहा है। पर सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मोदी का नाम ही दिख रहा है। एनडीए के नेता जहां मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने केलिए वोट मांगते दिख रहे हैं, वहीं विपक्ष भी मोदी के नाम पर चुनाव लड़ता दिख रहा है। बस फर्क यही है कि विपक्ष मोदी को हटाने केलिए वोट मांगता दिख रहा है।
यदि उम्मीदवार के छवि की बात करेंगे तो वर्तमान सांसद पर कोई आपराधिक मुदकमा आदि दर्ज नहीं है और न ही कोई आपराधिक या भूमाफिया आदि की छवि रही है। वनिस्पत इसके ललित यादव की छवि जगज़ाहिर है। कई गंभीर आपराधिक आरोप भी उनपर रहे हैं। इस मामले में कहीं न कहीं गोपालजी ठाकुर की छवि ललित यादव से बीस दिखता है।
बताते चलें कि पहले राजद की ओर से इस सीट पर मोहम्मद अली अशरफ फातमी को प्रत्याशी बनाया जाता था। उन्हें इस बार मधुबनी से टिकट दिया गया है। बीच में फातमी राजद छोड़कर नीतीश कुमार की जदयू में शामिल हो गए थे। लेकिन जब वहां उन्हें टिकट नहीं मिला तो फिर राजद में वापसी कर ली। फिलहाल दरभंगा सीट पर मुख्य लड़ाई गोपालजी ठाकुर और ललित यादव के बीच की बताई जा रही है।
दरभंगा के मतदाताओं की बात करें तो यहां ब्राह्मण वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। इसीलिए भाजपा ने इस बार भी ब्राह्मण चेहरे पर भी भरोसा जताया है। वोटर्स में मुस्लिम दूसरे स्थान पर और यादव मतदाता तीसरे स्थान साहनी और चौथे स्थान पर यादव मतदाता हैं। बता दें कि दरभंगा लोकसभा सीट से 8 बार ब्राह्मण सांसद बन चुके हैं। राजद ने 6 लोकसभा चुनावों के बाद यादव प्रत्याशी को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है।
साल 1991 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के चुनाव तक अशरफ फातमी यहां से 4 बार सांसद चुने गए हैं। उनके अलावा 3 बार कीर्ति आजाद (भाजपा के टिकट पर) और एक बार गोपालजी ठाकुर जीते हैं। यहां के चुनाव में हार-जीत का निर्णय ब्राह्मण और मुसलमान मतदाता ही करते हैं। हालांकि, इसमें अनुसूचित जनजाति और अति पिछड़ा जाति वर्ग की भूमिका को भी कम करके तो नहीं आंका जा सकता है, और इसबार लाभार्थी के रूप में इस वर्ग का साथ भाजपा के साथ दिख रहा है।
इसके अलावा राजनीतिक समीकरण की बात करें तो भाजपा के कैडर वोट के अलावा नीतीश कुमार, चिराग पासवान एवं उपेंद्र कुशवाहा तथा मांझी का वोट भी जुड़कर एनडीए प्रत्याशी को मज़बूत दिखाता है। इस प्रकार कहीं न कहीं भाजपा का सबका साथ सबका विकास का नारा दरभंगा में राजद के माय समीकरण को पीछा छोड़ता दिखता है।
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